Friday, July 23, 2010

Yaadein

यादों में बसे अफसाने खास होते हैं
बे वक्त आके इनको जो हसाने होते हैं
पलकों के पीछे छुपे होकर
ख़ुशी के आंसू रुलाने होते हैं

वक़्त के देहलीज़ से परे कुछ यादें होते हैं
दूर होकर भी पास रहना इनके फसाने होते हैं
सिमट न पाए अल्फाजो में ये यादें
गुजरे लम्हों के बसी कुछ तराने इनमे खास होते हैं

स्कूल का आखरी दिन और वोह मुस्कुराते चेहरे
 अंकों में नमी और एक लम्बे अरसे की यादें
कुछ छोटी जीत और कुछ बड़ी हार की यादें
कुछ न भूल पाने दोस्तो  के वादे

कॉलेज का पहेला दिन  और वोह क्लास बंक्स की यादें
वोह सेम टू सेम अससाईंन्मेंट और कॉपी की गयी प्रोग्राम्स आधे
वोह कलचरल  फेस्ट और वोह स्टेज के नज़रे
वोह लम्बी ड्रायीव और वोह छोटी मोती झगड़ो  की यादें

ऑफिस का पहेला दिने और वोह चमकते चेहरे
दिल की ख़ुशी चेहरे पे चाई रहती थी हमारी
वोह ट्रेनी  दोस्त और वोह बेन्चर्स की गग
वोह चेहल पहल और वोह अनकही दोस्ती की यादें

पर अब क्यों कम दिखती हैं वो दोस्ती के वादें
वक़्त के साथ मनो कम होते वोह नज़रे
प्लास्टिक हसी बस मिलती हैं अब
मिलने पर भी बातें काम की होती हैं अब

घडी के काटो की तरह भागते रहते हैं अब
रोज़ मर्रा की दौड़ से दोस्तों को फुर्सत न हैं अब
अब तो यादों के माँइने बदल चुके हैं सबके शायद  
या बडे होते होते मीटी यादों के लिए मेमोरी हो गयी हैं फुल ??

- किरण हेगड़े

4 comments:

  1. Hey nice poem .... Seriously school,colleges and training days were awesome ..... 4,5,6 para padke kuch yaade yaad aa gai …

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  2. Very nice again....! You must have a mushayra after (or just before!) your wedding. Translate some of your poems for those who don't understand and record them for the future. One day even these may just be memories. It is wonderful that they are being published here.

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  3. Deepak anna, yup it would be nice... But having a better poet like you we would like to have the pleasure of listening to your poems and Articles which would not only inspire but give insightful thinking lines to many .... :)

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